Friday, November 22, 2024
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Menstrual cycle and hygiene Day/महावारी और स्वच्छता: Dr. Anurekha Jain

Menstrual cycle and hygiene महावारी और स्वच्छता

महावारी /मासिक कर्म एक प्राक्रतिक क्रिया है जिससे कि हर औरत को अपनी आधी जिंदगी में हर महिने गुजरना होता है।

चूकि यह एक प्राक्रतिक क्रिया है फिर भी इसे मानव ने गंदा बना दिया है भारत वर्ष में मुख्यतः गांवों में तो इसे बहुत ही शर्मनाक तरीके से देखा जाता है। इसके बारे में जितना एक लड़की व महिला को जानना होता है उतना ही एक पुरूष को भी जानना चाहिये। महावारी की ही वजह से एक लड़की माँ बनती है क्योंकि इस क्रिया की वजह से उसका शरीर माँ बनने के लायक होता हौ अगर कोई लड़की को महावारी नहीं आती है तो वो माँ नहीं बन सकती सोचो इस सृष्टि का निर्माण व आगे पृथ्वी पर बच्चो का आना महावारी पर आधारित है।

रिसर्च कहता है 28 प्रतिषत लड़किया स्कूल नहीं जाती है और वो महावारी के बारे में भी नहीं जानती है। 90 में से 6 महावारी के बारे में अनभिग्य होती हैं। 90 में से 7 को अपनी पहली महावारी के बारे में”नहीं पता होता है और सिर्फ 12 प्रतिषत लड़कियां इससे संबधित स्वच्छता को जानती हैं।

इस प्रमुख क्रिया को भी लोग नहीं समझते है तो आइये आज इस लेख से जाने क्योंकि आज भी सेनेटरी पेड बाजार में खरीदना शर्मनाक माना जाता है और छिपाकर घर में रखा जाता है। इसके साथ कई सारे सामाजिक बंधन  है। और बहुत सारी काल्पीत कथाएं है और बहुत कम जाना जाता है।

एक लड़की को महावारी की शुरूआत के पहले शिक्षा दी जानी चाहिये। इस दौरान शारिरीक बदलावभावनात्मक बदलाव होता है उसको हर लड़की व महिला को जानना चाहिये। इस दौरान के विचारों में बदलावशारिरीक बदलाव होते है और उस बदलाव को महिलाओं को महसूस करना चाहिये।

महावारी को समझने के लिये शारीरिक व प्रजनन तंत्र को समझना बहुत जरूरी है व इसके पहले किशोरावस्था में जो लड़कियों में शारिरीक बदलाव आते है जो कि एक लड़की को माँ बनने के लिये जरूरी है मतलब उसका शरीर एक बच्चा के जन्म देने के लिये तैयार होता है।

menstrual cycle and hygiene: Awareness program for School Girls
Awareness Program for School Girls

 यौवनवस्था के बदलाव

1. आवाज बदल जाना

2. आंतरिक अंगो पर बालो का उगना

3. स्तन का बढ़ना

4. कमर का फैलना

5. महावारी की शुरूआत होना

6. पैरो के बालो का बढ़ना

7. त्वचा का तैलीय होने के कई बार चेहरे पर फुंसी का होना

शरीर रचना विज्ञान यन्त्र और मासिक चक्र

What is menstrual cycle? महावारी क्या है?

एक लड़की के पहले पिरियड को मासिक धर्म या रजोदर्षक कहा जाता है जोकि 8 और 19 वर्ष की आयु में शुरू होता है। आमतौर पर ये आयु ऐसे 13 वर्ष होती है।

यह प्राकृतिक क्रिया है और स्व्स्थ्य परिपक़्व शरीर की निशानी है। महावारी की क्रिया में रक्त, उतक जो कि गर्भाषय की अंदरूनी सतह बनाते ले तो छोड़कर योनी के बाहर निकलता है और 2 से 7 दिनों तक बाहर आता है । ये चक्र बार-बार आता है 26 से30 दिन में कभी ये छोटा और कभी कभी बढ़ भी जाता हे। मासिक चर्क में चार चक्र होते है-

1. प्री-ओवुलेषन- जब अंडा अण्डाषय में परिपक़्व होता है और गर्भाषय में आंतरिक पोषक सतह बनने लगती है ये जैसे ही महावारी बंद होती है उसके बाद शुरू होता है।

2.ओवुलेषन- जब एक परिपक्व अंडा अण्डाषय से फेलोपियन ट्युब के द्वारा चलता है और गर्भाषय में जाता है।

ये महावारी के 16 वे दिन तक चलता है। इस समय अगर कोई संभोग करता है तो गर्भावस्था होने की संभावना अत्याधिक होती है क्योंकि अंडा गर्भाषय में रहता और अगर स्पर्म मिल जाये तो निषेचन होता है और गर्भधारण होता है।

3. प्रीमेन्षुरेषन- जब अनिषेचित अंडा पोषक आंतरिक गर्भाषय की सतह गर्भाषय की दिवारों से अलग होने लगती हे ये 15 वां दिन होता है।

4. मेन्षुरेषन- महावारी जब आंतरिक सतह जोकि रक्त व उतक के बनी होती है योनि के द्वार से बाहर निकलती है एक से पांच दिन और कभी 6 दिन तक चलता है।

अंडा 28 घंटे तक गर्भाषय में जिन्दा रहता है और शुक्राणु (sperm) 6 दिन तक जिन्दा रहते हैं तो 14 से 16 दिन तक एक लड़की माँ बन्ने की संभावना अत्यधिक होती हैं I

महावारी के बाद शरीर में होर्मोन बनते हैं वो फिर से दुसरे अंडे को परिपक़्वव अंडाशय में बनने में मदद करते है व चक्र फिर से शुरू हो जाता हैं I और अगर गर्भावस्था होती हैं तो अंडा स्पर्म के द्वारा निषेचित होता हैं और गर्भाशय की पोषित आतंरिक सतह में जम जाता हैं और बच्चे का रूप लेने लगता हैं इस दौरान महिला का मासिक धर्म बंद होजाता हैं जब तक की वो बच्चे को जन्म नही देती I .

इस तरह से मासिक धर्म दोहराती हैं हर महीने में और करीब 40 वर्ष की उम्र तक चलती हैं I अंदाजन 52 की उम्र में बंद होजाती हैं फिर एक महिला माँ नहीं बन सकती इस अवस्था को मीनोपॉज कहा जाता हैं I

साईकल ट्रैकिंग – बहुत ही शक्तिशाली टूल हैं जिसमे महावारी को अनुभव किया जा सकता हैं I साईकल ट्रैकिंग अगले पीरियड के लिए तैयार होने में मदद करती हैं पता कर सकते हैं कि किस तारीख को अगला पीरियड आएगा I इससे ये भी पता चलता हैं कि कौनसा समय फर्टाइल हैं I 

२८ दिन का चक्र चार दिन का रक्तस्त्राव और 35 दिन का चक्र 6 दिन के रक्तस्त्राव के साथ महावारी का पहला दिन 1 को मानकर साईकल ट्रैकिंग करना चाहिए एक कैलेन्डर के उपर २९ और ३५ दिन के बिच साधारण माना जाता हैं कई बार लडकियों में ये इनसे ४५ दिन का भी होता हैं जो रक्त निकलता हैं उसकी मात्रा ९०-२९० मिली लीटर हर चक्र में होती हैं I औसतन ३० से ६० मिली लीटर होती हैं I

सामान्य महावारी के लक्षण – पेट में दर्द होना , स्तन का फूलना , कमर व पैरो का दुखना , महावारी के पहले श्वेत प्रदाय का होना , सर दर्द होना , मनोदशा में बदलाव होना , पेट में ऐठन आना I ज्यादातर लक्षण शरीर में हार्मोन के असर से होते हैं जो की महावारी चक्र को नियमित करते हैं I

चिकित्सक से परामर्श – जब एक लड़की की उम्र १६ से उपर हो और उसे महावरी की शुरुआत न हो –

1. १३  वर्ष की आयु में भी स्तन न बने और अचानक से महावारी बंद हो जाये I

2. ७ दिन से ज्यादा महावारी चले I

३. साईकल १९ दिन से कम भी व ४५ दिन से ज्यादा को होजये I

४. 2 घंटे में ही नेपकिन घीला होजाए I

५. बहुत ज्यादा शारीरिक दर्द हो I

6. जब पीरियड एक या 2 दिन ही चले I

महावारी के दोरान योनी दुसरे स्त्राव भी छोडती है वाइट डिस्चार्ज तो सामान्य होता हैं पर चिकित्सा छेत्र से मदद ली जानी चाहिए जब –

1 अगर फ्लूइड का रंग हरा पिला या ग्रे हैं तो I

2 बदबू जैसे की मछली जैसी I

३ मेलालिक बदबू सामान्य होती हैं क्योंकि वो आयरन की वजह से होती हैं

४ पेशाब में जलन व खुजली होना

५ रेशेस  होना

Personal hygiene व्यक्तिगत स्वछता –

  • शरीर को साफ़ सुथरा रखना चाहिए
  • एक बार जरुर नहाये
  • आतंरिक अंगो की सफाई व अच्छे से धोना
  • योनी, अनस, मूत्राशय को धोकर अच्छे से सुखाना चाहिए
  • साफ़-सुथरे कपडे पहनना चाहिए
  • सूती आतंरिक कपडे पहनना चाहिए I

व्यायाम – इन दिनों व्यायाम करने को मन नहीं करता I परन्तु व्यायाम करना बहुत जरुरी हैं इससे ऑक्सीजन और ब्लड के फ्लो की जरुरत पूरी होती हैं I

पोषण – महावारी से रक्त की कमी हो सकती हैं एनीमिया से बचने के लिए आयरन का लेवल शरीर में बनाकर रखना चाहिए I

ऐसा भोजन खाना चाहिए जिसमे आयरन पूरी मात्रा में होना चाहिये जैसे की पालक, सुरजना की फली, गुड, सूखे मेवे, अल्सी, तिल्ली, दाले I

ऐसा भोजन जिसमे विटामिन C पूरी मात्रा में हो जैसे नीबू ,चुना, पपीता, संतरा और जाम जो आयरन को अच्छे सोखता है I प्रोसेस फ़ूड नहीं खाना चाहिए मिठाई , कोल्ड ड्रिंक न ले I

खून की कमी से शरीर में थकान – सास लेने में तकलीफ , धड़कन तेज़ होना , पेरो में चरमप आना , बालो का झड़ना I

महावारी के दोरान दर्द से केसे निजात पाए

  • हलकी मालिश करवायें
  • योग करे
  • हर्बल दावा का उपयोग करे जेसे कि मेथी दाना, अदरक I
  • गरम पानी की बोत्टेल से निकास करे I

योनी को स्वच्छ कैसे रखे –

  • योनी को साफ़ और सुखा रखे
  • अच्छा खाना, नींद और पानी पिए
  • सूती कपड़े पहने
  • आगे से पीछे तक शरीर को साफ़ धोये
  • खुशबूदार पेड्स उपयोग न करे
  • खुसबूदार साबुन उपयोग में ना लेवे
  • चिकित्सक के अनुसार दवाई ले
  • अगर इन्फेक्शन हो तो हेम्पोन और कप उपयोग में न लेवे
  • लुब्रिकेंट और जेली उपयोग में न ले
  • कंडोम का उपयोग करे अगर नए साथी के सम्भोग करे
  • सम्भोग न करे जब महिला को इन्फेक्शन हो I

भावनात्मक परिवर्तन को समझे जैसे कि उदास हैं, दुखी हैं, चिडचिडापन या गुस्सा हैं, खुश हैं, बहार जा रहे हैं दोस्ताना व्यव्हार कर रहे हो I ये सभी परिवर्तन महावारी के दोरान होते हैं I तो अगली महावारी में आप को समझ में आ जाएगा की अब पीरियड आने वाला हैं I

महावारी में उपयोग में लाने वाले उत्पाद –

1. कपड़ा – पहले के ज़माने में कपड़ा घढ़ी करके उपयोग में लाया जाता था और इसे धोकर बार बार उपयोग में लाते थे आज भी गावों में उपयोग में लाया जाता हैं यह अगर अच्छी धुप में सुखाया जाये धोकर तो नुकसान नहीं हैं पर अगर गंदे स्थान पे रखा जाये और अगर अच्छे से नहीं धोयेंगे तो इन्फेक्शन हो सकता हैं I

इसके उपयोग से खर्चा नहीं आता हैं I

2. डिस्पोजेबल सेनिटरी पैड – बाजार में बहुत कंपनी के आते हैं ये प्लास्टिक के बने होते हैं इसमें रसायन होते हैं I कहते हैं कि यह एक साल तक ख़त्म नहीं होते हैं और यह हर 6 घंटे में बदले जाते हैं व फेके जाते हैं और यह पर्यावरण को दूषित करते हैं I अत्यधिक सफ़ेद होते हैं क्योंकि रसायन को उपयोग में लाया जाते है Iकई सारे इनकी प्रयोगशाला रिपोर्ट बताती हैं ये शरीर को नुकसान करते हैं, यह केंसर भी करते हैं और पर्यावरण को दूषित करते हैं I कुत्ते ओर गाये खाते है। इसको उपयोग करने के बाद कई लोग इनको मल या जमीन में गाड़तें हैं या जला देते है । कई लड़कियां तो शौचालय में डाल देती है तो शौचालय जाम हो जाता है।

एक महावारी के दौरान 12-14 पेड उपयोग में आते है तो ये खर्चीला साधन है।

3. Tampons – इनको योनी में डाला जाता है और रक्त को शोषित करते है। ये पलास्टिक के फाइबर के बने होते है। कारखानो में बनते है। ब्लीच रीयोन का बना होता है। ये भी एक उपयोग के बाद फेंका जाता हैं गाड़ा जाता है या जलाया भी जा सकता हे। 80 रू में 10 टेम्पोन आते है व एक महावारी में उपयोग में आते है। ये भी खर्चीला होता है। बहुत पैसा बचता है, इसमें भी हाईमेन टुटने लगता है।

4. Menstrual Cup – सिलीकान के बने होते है ये भी योनि में डाले जाते है इसमें रक्त भरता है 30-40 मीली की क्षमता होती है । इसकी उम्र 10 साल की होती है धोकर बार बार उपयोग में लाया जाता है आखीरी उपयोग के बाद इसे उबाल कर रख देते है। ये पृथ्वी पर कचरा नही बढ़ाते है मात्र 400 रू से लेकर 1000 रू का एक आता है और 10 साल चलता है इसको उपयोग में लाने के लिये थोड़ी प्रक्टीस करनी पड़ती है। शुरू में अटपटा लगता है बाद में सरल हो जाता है बहुत पैसा बचता है, इसमें भी हाईमेन टुटने लगता है। बहुत सी कम्पनी जैसे की बूद शी 2 स्टिक, एवरग्रीन आदि आते है।

5. कपडे के सेनेटरी पेड– कपडे के बने होते हे, बाजार के डिस्पोजेबल पद के आकार के होते है इनमे बटन होते हे जो पेंटी से जुड़ जाते है I ये भी ८ से १० घंटे के बाद बदले जाते हैI धो कर धुप में सुखा कर फिर से उपयोग में लिए जाते है धोने के लिए ठन्डे पानी में गालाकर रखने से एकदम साफ़ हो जाते हैI

Cloth sanatory pads
Cloth sanatory pads

एक पैड ८ साल तक उपयोग में लाया जा सकता हैI गरीब औरतें इनको सिलाई करके बनती हे तो उनको रोजगार मिलता हैI इनके आखरी उपयोग के बाद यह पर्यावरण में जला कर नष्ट किये जा सकते है और पर्यावरण को बिलकुल नुक्सान नहीं हैI रसायन से मुक्त पर्यावरण अनुकूल, स्वास्थ्य वर्धक और कम खर्चीले होते हैI यह पैड ५० रुपये से ८० रुपये तक पड़ता है और ७५ धुलाई तक उपयोग में लाया जा सकता है I

इसी तरह से बाज़ार के बहुत तरह के उत्पाद है हमें अच्छे से सभी के बारे में एनालिसिस करके उपयोग में लाना चाहिएI

इससे जुड़े सारे अन्धविश्वास को भी वैज्ञानिक तरीके से सोचना चाहिए हमने एक प्राकृतिक क्रिया का स्वरुप बिगाड दिया है I इसे बहुत गन्दी निगाह से समाज में देखा जाता हैI

जबकि यह माना जाता है रक्त से स्त्रावित योनी एक कटा हुआ घाव होता है इसलिए एक औरत संक्रमित हो सकती है और हमने यह मान लिया की उसको छूने वाला व्यक्ति संक्रमित हो जाएगाI मंदिर न जाना, बहार नहीं जाना, व्यायाम न करना, आचार को हाथ नहीं लगाना, यह सभी मिथ को समझना व अपनी समझ के साथ मानना चाहिएI यह एक बहुत ही सुन्दर प्रक्रिया है I

Disclaimer: This is for information and educational purpose.

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About Author: डॉ. अनुरेखा एक प्रोफेशनल होने के साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता भी है और अनोखी केयर के नाम से एक संस्था चलाती है जो की केवल सामाजिक सुधार के लिए है I वह यह कार्य अपने खर्चे पर ही करती है और किसी भी प्रकार के से धन कमाने के लिए नहीं है I आप सभी उनकी इस संस्था के बारे में जाने के लिए उनकी website https://www.anokhicare.in/ पर visit करे I

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